एक बार कुछ विद्यार्थी रसायन विज्ञानं प्रयोगशाला में कुछ प्रयोग कर रहे थे. सभी विद्यार्थी अपने अपने प्रयोगों में व्यस्त थे कि अचानक एक लड़के की परखनली से तेज बुलबुला उठा और उसकी छिट्कियाँ सामने प्रयोग कर रही लड़की की आँखों में चला गया.
पूरी प्रयोगशाला में हाहाकार मच गया, सभी खूब परेशांन हुए, आनन फानन में उस लड़की को अस्पताल पहुँचाया गया, वहाँ डाक्टरों ने बताया कि वो अपनी आँखें खो चुकी है. ये सुन कर उस लड़की के घर वालों ने उस लड़के को कोसना शुरू कर दिया और स्कूल वालों ने उस लड़के को स्कूल से निकाल दिया.
अब वो अंधी लड़की अपनी नीरस ज़िन्दगी बिता रही थी, जो शायद किसी की लापरवाही की वजह से वीरान सी हो गयी थी, अब उस लड़की की ज़िन्दगी में कोई भी रंग कोई मायने नहीं रखता था. घर वाले भी वक़्त बेवक्त उस लड़के को कोसते रहते थे जिसने उनकी लड़की की ज़िन्दगी खराब कर दी थी. आज कल के ज़माने में तो किसी के सामने हूर परी भी बैठा दो तो भी लड़के वालों को उससे भी ज्यादा खूबसूरत चाहिए होती है. फिर उस बिचारी की वीरान ज़िन्दगी में रंग भरने की बात सोच पाना भी असंभव सा था. खैर वक़्त बीतता गया और उस लड़की को उस वीराने की आदत हो गयी. क्योंकि अब उसकी ज़िन्दगी में कही से भी उजाला आने की कोई गुंजाइश नहीं थी.
अचानक एक दिन एक बड़े इंजीनियर का रिश्ता उस अंधी लड़की के घर आया. यही नहीं लड़का खुद उसके घरवालों से उसका हाथ मांगने अपने माँ बाप के साथ आया था. घर वाले मन ही मन बहुत खुश हो रहे थे कि बैठे बिठाये उन्हें अपनी अंधी लड़की के लिए लड़का मिल गया लेकिन लड़की इस बात से काफी दुखी थी. शायद इसलिए कि वो किसी की ज़िन्दगी खराब नहीं करना चाहती थी. इसलिए उसने लड़के को अन्दर बुलाया और बोली कि मैं अंधी हूँ आपके घर का कोई काम मैं नहीं कर पाउंगी, आपको मुझसे कोई सुख नहीं मिल पायेगा, आप एक इंजीनियर हैं इसलिये आपको तो एक से बढ़कर एक लड़कियां मिल जायेंगी. आप प्लीज़ अपनी ज़िन्दगी खराब मत कीजिये. इस पर वो लड़का आगे बढ़ा और घुटनों के बल बैठकर लड़की का हाथ पकड़कर बोला :
प्लीज़ तुम इस शादी के लिए हाँ कहके मुझे मेरा प्रायश्चित कर लेने दो, मैं वही हूँ जिसने तुम्हारी ज़िन्दगी वीरान की है और आज मैं प्रायश्चित करना चाहता हूँ. प्लीज़ मना मत करना. ये सुन कर वो लड़की रोने लगती है, ये सोच कर नहीं कि उसकी ज़िन्दगी खराब करने वाला उससे शादी करना चाहता है. बल्कि ये सोच कर कि इस दुनिया में ऐसे लोग भी है जो अपनी गलती को स्वीकारना जानते हैं ।।
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