NEW DELHI: The government has decided to decriminalize "attempt to suicide" by deleting Section 309 of the Indian Penal Code from the statute book.
Stating this in reply to a question in the Rajya Sabha on Wednesday, minister of state for home Haribhai Parathibhai Chaudhary said the government had decided to drop Section 309 from the IPC after 18 states and 4 Union territories backed the recommendation of the Law Commission of India in this regard.
Stating this in reply to a question in the Rajya Sabha on Wednesday, minister of state for home Haribhai Parathibhai Chaudhary said the government had decided to drop Section 309 from the IPC after 18 states and 4 Union territories backed the recommendation of the Law Commission of India in this regard.
आत्महत्या की कोशिश अपराध की श्रेणी से हट जाएगी।
विधि आयोग की सिफारिश पर मोदी सरकार ने आईपीसी की धारा 309 (आत्महत्या की कोशिश) को खत्म करने का फैसला किया है। धारा 309 के तहत आत्महत्या की कोशिश पर एक साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
बुधवार को संसद में इसकी जानकारी देते हुए गृह मंत्रालय ने कहा कि 18 राज्य और 4 केंद्र शासित क्षेत्र धारा 309 को खत्म करने के पक्ष में हैं। गृह मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि
राज्यों की राय पर केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि इस धारा को आईपीसी से हटा
दिया जाए।
लोकसभा में अगस्त में गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था, 'विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि आत्महत्या की कोशिश को मानवीय आधार पर विचार करने और इसके अपराध की श्रेणी से बाहर रखने की जरूरत है।'
लोकसभा में अगस्त में गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था, 'विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि आत्महत्या की कोशिश को मानवीय आधार पर विचार करने और इसके अपराध की श्रेणी से बाहर रखने की जरूरत है।'
आत्महत्या को अपराध की श्रेणी से अलग रखने की बात
करते समय यह साफ कर दिया गया है कि किसी व्यक्ति को आत्महत्या करने के लिए
प्रोत्साहित करने या इसमें उसकी सहायता करने वाले को अवश्य दंडित किया जाना चाहिए।
आत्महत्या को मानवीय पहलू से परखते हुए आयोग ने कहा है कि ऐसे व्यक्ति को दंडित करना उचित नहीं है, जो पारिवारिक अनबन, विपन्नता, नजदीकी रिश्तेदारी की मृत्यु आदि कारणों से अपना जीवन खत्म करने का फैसला कर लेता है। आयोग ने कहा है कि कि जीवन से हारे ऐसे अभागे व्यक्ति को सहानुभूति, सलाह मशविरे और उचित इलाज की जरूरत है। उसकी जगह जेल खाना नहीं है। आयोग के अनुसार आत्महत्या संबधी धारा-309 दोहरे दंड का कारण बनती है। जो व्यक्ति आत्महत्या का प्रयास करने के कारण पीड़ा और अपमान झेल चुका है, उसे कानून के जरिए दंडित करना उचित नहीं है।
आत्महत्या को मानवीय पहलू से परखते हुए आयोग ने कहा है कि ऐसे व्यक्ति को दंडित करना उचित नहीं है, जो पारिवारिक अनबन, विपन्नता, नजदीकी रिश्तेदारी की मृत्यु आदि कारणों से अपना जीवन खत्म करने का फैसला कर लेता है। आयोग ने कहा है कि कि जीवन से हारे ऐसे अभागे व्यक्ति को सहानुभूति, सलाह मशविरे और उचित इलाज की जरूरत है। उसकी जगह जेल खाना नहीं है। आयोग के अनुसार आत्महत्या संबधी धारा-309 दोहरे दंड का कारण बनती है। जो व्यक्ति आत्महत्या का प्रयास करने के कारण पीड़ा और अपमान झेल चुका है, उसे कानून के जरिए दंडित करना उचित नहीं है।
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